Wednesday 27 April 2011

Shaayaris

प्यार तो बहुत मिलते हें जनाब, पर
सच्ची मोहब्बत बहुत कम |
पत्थर तो मिलते हें हर कही, पर
हीरे उनमे बहुत कम||


प्यार इतना मत करना के  दिल में रह न सके,
दूर इतना मत रहना के हम सह न सके,
करते हम भी हे आपसे उतना ही प्यार..
जितना तुम भी आज तक हमसे कर न सके... 


दो मीठी बातों से नहीं होता प्यार,
हर फूल नहीं बनता गले का हार||


समंदर की लहरे, अपने सरों पे छाग के ताज सजाये,
इठलाती हुई, साहिलों की तरफ बढती हें|
साहिलों पर चट्टानें हें,
लहरे चक्माचुर हो जाते हें|
अक्सर सपने भी सच्चाईयों से टकराके यु ही टूटते हें|
मगर दिल वो कमबख्त हें, जो फिर से उम्मीद करता हें|
की शायद कभी,
शायद कही............


इंतज़ार शायद मोहब्बत का नसीब हें|
लेकिन जब मोहब्बत इंतज़ार करती हें,
तो समय थम जाता हें,
ज़माने रुक जाती हें|
मोहब्बत जिद्दी हें|
आखरी सास, आख धड़कन, आखरी पल तक
इंतज़ार कर सकती हें|
और कभी कभी, उसके बाद भी..............

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